Thursday, 28 May 2020

1.Blogger's Introduction


प्रिय पाठकों
नमस्कार। 

प्रस्तुत ब्लॉग का मुख्य उद्देश्य अपने उन पाठकों को सामान्य अंग्रेज़ी सिखाना है जो कमजोर अंग्रेजी के कारण विभिन्न प्रतिओगी परीक्षाओं में असफल हो जाते हैं। परन्तु इससे पूर्व ब्लॉगर अपने पाठको के सम्मुख अपना संक्षिप्त परिचय रखने की अनुमति चाहता है। 

मेरा नाम योगेश है और मैं दिल्ली विश्विद्यालय के अंग्रेज़ी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर हूँ. वर्ष 2014 में दिल्ली यूनिवर्सिटी ज्वाइन करने के पहले मैं अंडमान-निकोबार के पोर्ट ब्लेयर में स्थित जवाहरलाल नेहरू गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत था। वर्ष 2010  में संघ लोक सेवा आयोग दिल्ली के द्वारा मेरा चयन उक्त कॉलेज के लिए हुआ था। इससे पूर्व मैं वर्ष 2006  से 2010 तक बैसवारा इण्टर  कॉलेज, लालगंज, रायबरेली, उत्तर प्रदेश में अंग्रेज़ी प्रवक्ता के पद पर कार्यरत था। इस कॉलेज के लिए मेरा चयन वर्ष 2005 में उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड एलनगंज इलाहबाद के द्वारा किया गया था। माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के द्वारा अंतिम चयन से लेकर  बैसवारा इण्टर  कॉलेज ज्वाइन करने का सफर बहुत ही मुश्किल और कांटो से भरा था। इसपर मैं चर्चा फिर कभी करूंगा। इन सब के बीच वर्ष 2006 में उत्तराखंड लोक सेवा आयोग, हरिद्वार, वर्ष 2011 में उत्तराखंड ओपन यूनिवर्सिटी, नैनीताल एवं वर्ष 2012 में छतीसगढ़ लोक सेवा आयोग, रायपुर के द्वारा प्रवक्ता एवं असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर मेरा चयन हुआ था परन्तु विभिन्न कारणों  से मैं इन चयनों को अपनी सेवायें न दे सका। यह तो हुआ मेरे अध्यापन एवं प्रोफेशनल जीवन का एक संक्षिप्त परिचय।

जहाँ तक मेरी शिक्षा का प्रश्न है तो मैं बताना चाहूंगा कि मेरी संपूर्ण शिक्षा इलाहाबाद में हुई। मैं हिंदी माध्यम का छात्र रहा। मैंने  प्राथमिक शिक्षा शिशु संगम, कीडगंज, इलाहाबाद से, दसवीं एवं बारहवीं जमुना क्रिस्चियन इंटर कॉलेज, इलाहाबाद, बैचलर ऑफ़ आर्ट्स ईविंग क्रिस्चियन कॉलेज, इलाहाबाद एवं परास्नातक तथा पीएचडी इलाहाबाद विश्वविद्यालय से किया।  मैंने इंग्लिश में एम ए किया और फिर डिपार्टमेंट ऑफ़ इंग्लिश के प्रोफेसर लक्ष्मी राज शर्मा के मार्गदर्शन में शेक्सपियर पर पीएचडी किया। अब मैं आपके साथ यह भी साझा करना चाहूंगा कि शुरू में मुझे अंग्रेजी से बहुत डर लगता था। ग्यारहवीं के हाफ इयरली होम एग्जाम में अंग्रेज़ी में मेरे बहुत ही ख़राब मार्क्स आये थे। मुझे 100 में 31 नंबर मिले थे। मैथ में 94 और फिजिक्स में 76  ऐसे में मेरे पिता जी ने मेरे मामा जी से सलाह कर मुझे अंग्रेजी पढ़ने के लिए अंग्रेजी के एक अध्यापक के पास भेजा। आज उनका भौतिक शरीर इस दुनिया में नहीं हैं उन्हें लोग नरेंद्र नाथ पांडेय के नाम से जानते थे स्व नरेंद्र नाथ पांडेय जी ही वह महान व्यक्ति हैं जिन्होंने मात्र एक महीने में मुझे अंग्रेज़ी के रीढ़ की हड्डी दे दी। मेरी सफलता का श्रेय सर्वप्रथम मेरे आराध्य गुरु स्व नरेंद्र नाथ पांडेय जी को जाता है। इसके बाद मैं प्रोफेसर लक्ष्मी राज शर्मा के विद्वतापूर्ण मार्गदर्शन एवं उनके आशीर्वाद का ऋणी हूँ। 

आज तो यह हुआ मेरे बारे में एक सामान्य परिचय. अगले ब्लॉग में मैं अंग्रेजी पर चर्चा करूंगा।

तब तक के लिए नमस्कार। 



8 comments:

  1. ������������������

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  2. Thanks for the initiative.

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  3. Thanks for the initiative.

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  4. Thank you for the initiative.

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  5. Grate initiative for students

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  6. A nice gesture by a great mind. It is very difficult to be simple when the whole world is complicated. Keep on my dear friend.

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