आप सभी को मेरा नमस्कार !
निश्चित तौर पर आज का युग विज्ञान और टेक्नोलॉजी का है परन्तु इससे भाषा की महत्ता कम नहीं हो जाती। सभी भाषाएं महतत्वपूर्ण हैं क्योंकि इन भाषाओँ ने ही मानव समाज को अभिव्यक्ति का शक्तिशाली साधन प्रदान किया और उनके विकास में अत्यंत ही महत्वपूर्ण योगदान दिया। मानव सभ्यता के प्रारम्भ से ही धरती के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले विभिन्न मानव समाजों ने विभिन्न प्रकार की भाषाओं का प्रयोग अपनी आवश्यकता के अनुसार किया। शाब्दिक भाषा इन्ही विभिन्न भाषाओँ में से एक है। शाब्दिक भाषा से तात्पर्य उस भाषा से है जिसमे शब्दों के प्रयोग द्वारा विचारों को व्यक्त किया जाता है। संस्कृत, तमिल, हिंदी, मलयाली, अंग्रेजी इत्यादि शाब्दिक भाषाएं ही हैं। प्रत्येक भाषा का अपना एक नियम होता है जिसे उस भाषा का व्याकरण अथवा ग्रामर कहते हैं। जैसा की पिछले ब्लॉग में बताया जा चुका है और इस ब्लॉग के हेड टाइटल से भी स्पष्ट है कि प्रस्तुत ब्लॉग का मूल उद्देश्य अपने पाठकों की अंग्रेजी भाषा की समझ को विकसित करना है। तो आइये इस ब्लॉग के अगले हिस्से में मैं अंग्रेजी भाषा पर चर्चा शुरू करता हूँ।
किसी भी भाषा के दो महत्वपूर्ण घटक होते है: पहला भाषा के नियम (व्याकरण) और दूसरा नियमों के अनुसार शब्दों का प्रयोग। अगर मुझे इस बात को अंग्रेजी के सन्दर्भ में और सरल ढंग से कहना हो तो मैं कहूंगा कि हमें अंग्रेजी के सही प्रयोग के लिए दो महत्पूर्ण घटकों की नितांत आवश्यकता होती है: पहला अंग्रेजी व्याकरण और दूसरा अंग्रेजी शब्द भंडार। प्रस्तुत ब्लॉग इन दोनों ही घटकों पर अपने पाठकों का मार्गदर्शन करेगा।
व्याकरण
व्याकरण सीखने का सही तरीका नियमों को रटना नहीं है। क्या कभी कोई व्यक्ति पानी में तैरना सिद्धांतों को पढ़ने मात्र से सीख सकता है ? उत्तर होगा नहीं। तैरने के लिए सिद्धांत नहीं कुशल व्यवहार की आवश्यकता होती है और व्यवहार में कुशलता सतत प्रयास से ही मिलती है। इसी प्रकार से इंग्लिश ग्रामर को किताबों को पढ़ने मात्र से नहीं सीखा जा सकता। इसे सीखने के लिए प्रारम्भ में किसी मार्गदर्शक की आवश्यकता होती है। मार्गदर्शक ऐसा होना चाहिए जो सूत्र शैली के माध्यम से आपको अंग्रेजी व्याकरण का व्यवहारिक रूप प्रदान कर सके। सूत्र शैली का विशेष लाभ यह आपको बहुत ही कम समय में अधिक ज्ञान दे सकता है। उदाहरण के लिए जिन विषयों को सामान्यत: एक साल में पूरा किया जाता है उन्ही विषयों को सूत्र शैली के माध्यम से बहुत प्रभावी ढंग से एवं अच्छे परिणाम के साथ मात्र एक महीने में पूरा किया जा सकता है। अंग्रेजी भाषा में कुछ मुख्य सूत्र हैं और इन्ही सूत्रों के सरल एवं सयुंक्त रूपों का प्रयोग करके वाक्य रचना की जाती है। मैं आपको अंग्रेजी अनुप्रयोग से अंग्रेजी व्याकरण सिखाऊंगा न कि व्याकरण से प्रयोग जैसा अक्सर देखा जाता है। प्रारम्भ में नियमों पर चर्चा बहुत सीमित होगी और बाद में आप स्वतः ही नियमों को समझ चुके होंगे। जहाँ तक शब्द-भंडार का प्रश्न है बीच-बीच में मैं उनपर चर्चा करता रहूँगा।
अगले ब्लॉग में मैं आपको अंग्रेजी के लिए आवश्यक उन सूत्रो से परिचित कराऊंगा जिनकी सहायता से अंग्रेजी भाषा का बोलना एवं लिखना संभव हो पाता है।
अगले ब्लॉग में आपका इंतज़ार ख़त्म हो जाएगा और हम अंग्रेजी सीखने की नाँव में प्रत्यक्ष रुप से सवार हो चुके होंगे।
अगले ब्लॉग में मैं आपको अंग्रेजी के लिए आवश्यक उन सूत्रो से परिचित कराऊंगा जिनकी सहायता से अंग्रेजी भाषा का बोलना एवं लिखना संभव हो पाता है।
अगले ब्लॉग में आपका इंतज़ार ख़त्म हो जाएगा और हम अंग्रेजी सीखने की नाँव में प्रत्यक्ष रुप से सवार हो चुके होंगे।
तब तक के लिए आप सभी को नमस्कार।